चमोली: विशेष पूजा-अर्चना के बाद बद्रीनाथ धाम के कपाट शीत काल के लिए हुये बंद, अंतिम दिन दर्शन करने उमड़ी भीड़


बद्रीनाथ धाम मंदिर को शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया है.
शीतकाल के लिए बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट आज विधि-विधान के साथ पूजा- अर्चना (Worship) के बाद बंद हो गये हैं. कपाट बंद होने से पहले यहां पर भारी संख्या में लोग भगवान (Lord) के दर्शन करने पहुंचे.
- News18Hindi
- Last Updated:
November 19, 2020, 4:55 PM IST
Uttarakhand: The portals of Badrinath Temple close for the winter seasonKedarnath Temple and Gangotri Temple already closed for the season. pic.twitter.com/sGc1jmVrIo
— ANI (@ANI) November 19, 2020
नर नारायण पर्वत के मध्य भैरवी चक्र पर स्थित भगवान बद्री नारायण के मंदिर के कपाट आज वैदिक परम्परा और पूजा अर्चना के साथ शीतकाल के लिये बंद कर दिये गये हैं. आज सुबह से ही विशेष पूजा और पुष्प श्रृंगार के साथ भगवान का अभिषेक किया गया. वहीं दोपहर में भोग लगने के बाद रावल जी द्वारा स्त्री रूप धारण कर मां लक्ष्मी जी को नारायण के अंक में स्थापित किया गया, जिसके बाद दोपहर ठीक तीन बजकर पैंतीस मिनट पर भगवान बद्री विशाल जी के कपाट इस वर्ष शीतकाल के लिये बंद कर दिये गये. कपाट बंद होने के मौके पर जहां देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु भगवान बद्री विशाल के दर्शन के लिये पंहुचे थे वहीं भगवान बद्री विशाल के दर्शन पाकर वे अपने को धन्य मान रहे है. आज श्रद्दालुओं में भगवान नारायण के दर्शन का उत्साह देखते ही बन रहा था.गंगोत्री मंदिर धाम समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने बताया कि गंगा के कपाट दोपहर 12:15 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. मां गंगा की डोली भोगमूर्ति के साथ अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव के साथ रवाना हुई. मां गंगा के गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने पर श्रद्धालुओं की भीड़ में कमी देखने को मिली. वहीं, मां गंगा की डोली पैदल जांगला मार्ग से शाम को मुखबा गांव से 3 किमी पहले मार्कण्डेय मंदिर में रात्रि विश्राम करेगी. जहां पर स्थानीय लोग और यात्री रात भर मां गंगा के साथ अन्य देवी-देवताओं का भजन कीर्तन करते हैं.
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