हरिद्वार महाकुंभ में जंगली हाथियों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए वन विभाग ने कार्ययोजना तैयार की है। हाथियों को रोकने के लिए गंगा किनारे जंगल से सटे तीन स्थानों पर एक-एक किलोमीटर लंबी और दो मीटर ऊंची पत्थरों की दीवार बनाई जाएगी। 17 किमी की लंबाई में सोलर फेंसिंग भी होगी। चार करोड़ रुपये लागत की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को शासन से इसी सप्ताह में स्वीकृत मिलने की उम्मीद है।
डीएफओ नीरज कुमार के मुताबिक हरिद्वार वन प्रभाग में 113 हाथी हैं। हाथी अक्सर आबादी क्षेत्र में घुस आते हैं। फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इनके हमले में कई बार लोगों की जान तक चली जाती है। महाकुंभ के दौरान हाथियों की आबादी क्षेत्र में आवाजाही का मुख्य रास्ता रोकने के लिए वन विभाग ने कार्ययोजना बनाई है।
डीएफओ के मुताबिक इसमें कनखल बैरागी कैंप में गंगा किनारे एक किमी लंबी और दो मीटर ऊंची पत्थरों की दीवार बनाई जानी है। दूसरे और तीसरे पैच में अजीतपुर, कटारपुर, बिशनपुर और पंजनहेड़ी क्षेत्र में एक-एक किमी लंबी दीवार बनेगी।
ये सभी क्षेत्र जंगल से सटे और हाथियों के आबादी में आने एवं जाने के प्रमुख रास्ते हैं। दीवार खड़ी होने से हाथी उसे पार नहीं कर पाएंगे और कई सालों के लिए इन इलाकों से हाथियों का आवागमन बंद हो जाएगा। हरिद्वार से लक्सर भोगपुर तक 17 किमी तक सोलर फेंसिंग लगाई जानी है।
वन विभाग हाथियों के हमले से जानमाल के नुकसान पर सालाना करीब चालीस लाख रुपये मुआवजा भी देता है। इसमें हाथी के हमले में आश्रित को तीन लाख, गंभीर घायल को पचास हजार और मामूली घायल को 15 हजार रुपये दिया जाता है। जबकि अलग-अलग फसलों और उसके रकबे के हिसाब से मुआवजा निर्धारित है।
मैन पावर, मैटेरियल और प्लानिंग से कुछ भी असंभव नहीं
महाकुंभ से पहले वन विभाग के तीन किमी लंबी और दो मीटर ऊंची दीवार निर्माण पूरा करने का दावा शहर के कई लोगों के गले नहीं उतर रहा है। हालांकि, कुंभ प्रशासन के तकनीकी सेल के अधीक्षण अभियंता हरीश पांगती का कहना है कि असंभव कुछ भी नहीं है।
मैन पावर, मैटेरियल और प्लानिंग से तीन किमी की दीवार महाकुंभ शुरू होने से पहले आसानी से बनाई जा सकती है। एक किमी दीवार बनाने में पचास मजदूरों की जरूरत पड़ेगी। हरिद्वार में तेजी से होने वाले कार्य उदाहरण हैं। सामान्य दिनों में महीने भर में होने वाले कार्य एक सप्ताह में कराए जा रहे हैं। दो शिफ्टों में कार्य हो रहा है। 31 दिसंबर तक महाकुंभ से जुड़े सभी कार्य पूरा करने का लक्ष्य है।
पत्थरों की दीवार एक-एक किमी लंबी तीन अलग-अलग टुकड़ों में बनाई जाएगी। डीपीआर इसी सप्ताह तक स्वीकृत हो जाएगी। तीनों टुकड़ों का ठेका अलग-अलग संस्थाओं को दिया जाएगा, ताकि निर्माण तेजी से हो सके।
– नीरज कुमार, डीएफओ
सार
तीन जगहों पर एक-एक किमी लंबी दीवार और 17 किमी लंबाई में सोलर फेंसिंग भी होगी
विस्तार
हरिद्वार महाकुंभ में जंगली हाथियों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए वन विभाग ने कार्ययोजना तैयार की है। हाथियों को रोकने के लिए गंगा किनारे जंगल से सटे तीन स्थानों पर एक-एक किलोमीटर लंबी और दो मीटर ऊंची पत्थरों की दीवार बनाई जाएगी। 17 किमी की लंबाई में सोलर फेंसिंग भी होगी। चार करोड़ रुपये लागत की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को शासन से इसी सप्ताह में स्वीकृत मिलने की उम्मीद है।
डीएफओ नीरज कुमार के मुताबिक हरिद्वार वन प्रभाग में 113 हाथी हैं। हाथी अक्सर आबादी क्षेत्र में घुस आते हैं। फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इनके हमले में कई बार लोगों की जान तक चली जाती है। महाकुंभ के दौरान हाथियों की आबादी क्षेत्र में आवाजाही का मुख्य रास्ता रोकने के लिए वन विभाग ने कार्ययोजना बनाई है।
डीएफओ के मुताबिक इसमें कनखल बैरागी कैंप में गंगा किनारे एक किमी लंबी और दो मीटर ऊंची पत्थरों की दीवार बनाई जानी है। दूसरे और तीसरे पैच में अजीतपुर, कटारपुर, बिशनपुर और पंजनहेड़ी क्षेत्र में एक-एक किमी लंबी दीवार बनेगी।
ये सभी क्षेत्र जंगल से सटे और हाथियों के आबादी में आने एवं जाने के प्रमुख रास्ते हैं। दीवार खड़ी होने से हाथी उसे पार नहीं कर पाएंगे और कई सालों के लिए इन इलाकों से हाथियों का आवागमन बंद हो जाएगा। हरिद्वार से लक्सर भोगपुर तक 17 किमी तक सोलर फेंसिंग लगाई जानी है।
हाथियों से प्रभावित लोगों को सालाना 40 लाख मुआवजा
वन विभाग हाथियों के हमले से जानमाल के नुकसान पर सालाना करीब चालीस लाख रुपये मुआवजा भी देता है। इसमें हाथी के हमले में आश्रित को तीन लाख, गंभीर घायल को पचास हजार और मामूली घायल को 15 हजार रुपये दिया जाता है। जबकि अलग-अलग फसलों और उसके रकबे के हिसाब से मुआवजा निर्धारित है।
मैन पावर, मैटेरियल और प्लानिंग से कुछ भी असंभव नहीं
महाकुंभ से पहले वन विभाग के तीन किमी लंबी और दो मीटर ऊंची दीवार निर्माण पूरा करने का दावा शहर के कई लोगों के गले नहीं उतर रहा है। हालांकि, कुंभ प्रशासन के तकनीकी सेल के अधीक्षण अभियंता हरीश पांगती का कहना है कि असंभव कुछ भी नहीं है।
मैन पावर, मैटेरियल और प्लानिंग से तीन किमी की दीवार महाकुंभ शुरू होने से पहले आसानी से बनाई जा सकती है। एक किमी दीवार बनाने में पचास मजदूरों की जरूरत पड़ेगी। हरिद्वार में तेजी से होने वाले कार्य उदाहरण हैं। सामान्य दिनों में महीने भर में होने वाले कार्य एक सप्ताह में कराए जा रहे हैं। दो शिफ्टों में कार्य हो रहा है। 31 दिसंबर तक महाकुंभ से जुड़े सभी कार्य पूरा करने का लक्ष्य है।
पत्थरों की दीवार एक-एक किमी लंबी तीन अलग-अलग टुकड़ों में बनाई जाएगी। डीपीआर इसी सप्ताह तक स्वीकृत हो जाएगी। तीनों टुकड़ों का ठेका अलग-अलग संस्थाओं को दिया जाएगा, ताकि निर्माण तेजी से हो सके।